5 Simple Techniques For shiv chalisa lyrics aarti
5 Simple Techniques For shiv chalisa lyrics aarti
Blog Article
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
अर्थ- हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती।
तदा एव काश्चन परीक्षाः समाप्ताः भवन्ति।
अर्थ- आपकी जटाओं से ही गंगा बहती है, आपके गले में मुंडमाल है। बाघ की खाल के वस्त्र भी आपके तन पर जंच रहे हैं। आपकी छवि को देखकर नाग भी आकर्षित होते हैं।
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
बुधवार – आप दीर्घायु तथा सदैव निरोगी रहते हैं.
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी click here अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।